कुछ और सोचते है जिन्दगी को नए रुख पे मोड़ते हैं
जीस दिन पूरी हुई ये मन्नत धरती पे मिलेगी मुझे जन्नत
जीस दिन पूरी हुई ये उम्मीद उस दिन साथ मानाउंगी दिवाली और ईद
इंसान भी पढ़ लेता मेरे शब्दों का दर्द फिर रब तू क्यूँ बना है इतना बेदर्द
नहीं असर करती कोई दिलासा हर पल छायी है एक निराशा
रब एसी भी मत लिख देना किस्मत की मे भूल जाऊ खुद की एहमियत
रब एसी भी मत लिख देना किस्मत की मे भूल जाऊ खुद की एहमियत
कभी कोशिश कर के देखना बिखरे हुए ख्वाबों मे जीना उतना ही अच्छा लगता है जैसे पीगली हुई आइसक्रीम को खाना
ये पूरा हुआ ख्वाब तो हम भी जियेंगे बन कर नवाब
हाथ फैलाए एक ही दुआ मांग रही हू उस एक ही ख्वाहिश के पीछे भाग रही हू
जो है काबिल रब उसमे मुझे भी कर लो शामिल
हर मोसम सर्द लगता है जब आँखो से दर्द बहता है
यहा खड़े है अनेक लेकिन मुझे मिलेगा अवसर क्यूंकि मेरे इरादे है नेक
मेहनत मे रखो इतना असर की भगवान जी भी दे तुम्हें अवसर
वो ही लिखती हू जो हर पल जिन्दगी से सीखती हू
तेरी कमी है इसलिए हर पल आँखो मे नमी है
मेरा मन उदास है हर पल निराश है
मेरे आँसू बताते हैं खुशी की कीमत उसके करीब आकर दूर जाने की एहमियत
एक ही ख्वाहिश है प्रभु तूजसे दिल करता एक ही पाक फरमाइश है
दिन रात ये आँखे जगती है एक ही ख्वाब पे आ कर रुकती है
अच्छा लगता है जब कोई हमारी भी फ़िकर करता है।