ये ही तो समझ नहीं आता कोन बुलाता है बिन लब्जो से खामोश रह के वो रुलाता है
मे कोई खुदा का नूर नहीं हु जिसकी आप आरजू करो वो कोहिनूर नहीं हु
कोन सी है ये इशक की रस्म जहा जरूरत है सबकी पहली जिस्म
इशक में कहा सूझता है काम हर वक्त याद रहता है बस उनका नाम
हम प्यार के जाम में नहीं मोहब्बत के कलाम से इशक करते हैं
मत ख्वाहिश करो लब की मोहब्बत तो पूजा है रूह के साथ रब की
जहर की ख्वाहिश है केसी अजब सी फरमाइश है
ताजमहल नहीं हम एक जहर है हर रोज आशिको पे बरसने वाला कहर है
शुक्रिया जो हमे खूबसूरत सी गजल कहते हो कुछ तो है हम मैं जो हमे अपने शब्दों में बसाते हो
कभी वो मेरे तिल तो कभी मेरी गोल - गोल सी जुल्फों पे फिदा है अब मान भी लो जनाब आज भी हम में कोई तो खास अदा है
खुश नसीब है वो पत्ते जो दर्द में सुख के भी जलते तो है हम तो दर्द में माला के मोती जैसे हर पल बिखरते है
मेरे शब्दो की आह महफिल में बन जाती है वाह
मुश्किल है बनना फिर से किसी का अटल वो शख्स खड़ा हुआ हर मुश्किल में बनके प्रबल
जिसे कभी कहा था अलविदा दिल आज भी है उसी पे फिदा
अतीत तो अतीत होता है एक मोका मिलते ही आँखो से बहता है
मांग मे सिंदूर है फिर भी मेरा साजन दूर है
मेरी तहजीब को भी घूरती है निगाहे अजीब
दूरी में भी मोहब्बत बडती है हर रात मेरी तन्हाई से लड़ती है
अभी तानों का शोर है गुरु आप के मार्गदर्शन में आयेगा सफलता का दोर
Hum aaj hai or hmesha rhenge bas isi bhram me log jiya krte hai.
हर सपने से बड़े है मेरे प्यारे से अपने