कहा मिलती है रूहानी मोहब्बत जिस्मानी जरूरत में कोन करता है रूह की इबादत
हमारे उफ्फ पे इतने मरते हो हम से ज्यादा हमारे शब्दों के आशिक लगते हो
मोहब्बत बस एक बार होती है और जिन्दगी भर रुलाती है
चाहत रुलाती है भीगी आँखो के साथ सुलाती है
बेटी से आँगन खिलता है दुख में बेटे से पहले बेटी से सहारा मिलता है
मोहब्बत के राग से दामन पे लगता है दाग
जब चड़ता है चाहत का रंग कोई अपना नहीं रहता संग
किस्मत मेहनत की मोहताज है संघर्ष से सर पे सजाती सफलता का ताज है
हमारे अल्फाजो के भी मायने है अपने से है ये नहीं बेगाने है
Dard aur bad jata hai jab dukh ko shabdo me bayaan karna padta hai.!
आदाब में भी अदब सजता है हर मजहब में इंसानियत का सबक बसता है
हमारी नाराजगी से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है कोन कितना प्यार करता है इन हालातों में दिखता है
हमारी नाराजगी से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है कोन कितना प्यार करता है इन हालातों में दिखता है
दोस्त को तो रब ने भी सही कहा तभी तो किशन का सुदामा के लिए आंसू बहा
मोहब्बत शिव जी का प्रसाद ही बन गया है आज इस मे तो कल उस में बट गया है
प्यार में है आवारगी और दोस्ती में है सुकून भरी सादगी
कैसे सहेंगे आपकी नाराजगी प्यार से बड़ी है दोस्ती की सादगी
जिस्म की नहीं रूह की चाहत है बाहों में नहीं प्यारी बातो से मिलती राहत है
आँखे हो या हथेली बस उस रब की कूदरत है कभी घोर से देखो हर शख्स में रब बसाता अपनी शिरत है
किसी ने खोई मोहब्बत कहा किसी ने खुदा की जियारत कहा, पता नहीं क्यूँ ईन आँखो से फिर भी आंसू बहा
Rupay tere mere nahi, kagaj ke hote hain - kab samjhoge tum jag walo?