प्यास है की कभी बुझती नहीं है पर आज भी आंश छुटती नहीं है
मत बनाओ ख्वाबों को कब्र , मंजिल मिलेगी बस थोड़ा रखो सब्र
पता नहीं मेरे शब्द अच्छे है की नहीं लेकीन रब कसम ये सच्चे है
मुस्कुराने की वजह की मत रखो चाहत, हर पल मुस्करा के देखो औरो के साथ खुद को मिलेगी राहत
डूबने दो इन यादों को ये बड़ी है, जालिम, इन्होंने ही सिखायी है तुमसे वफा निभाने की, तालीम
आपकी नाराजगी हमारी मोहब्बत से भी बड़ी है, वक्त मिले तो देख लेना किसी की चाहत उसी मोड़ पे खड़ी है
ये केसी कयामत है, हम शिकायत भी नहीं कर सकते बगावत भी नहीं कर सकते है
रूठ कर क्यूँ टूटते हो, अपनी खामोशी से क्यूँ लूटते हो
इल्जाम ही तो वो जाम है, जो पिलाती वो हर शाम है
हकीकत के साथ हर कोई नकारता है नकाब पहन लो दिखावे का हर कोई स्वीकरता है
यहा सवारना जीस्म को बन गयी है पहली रस्म
कागज पर उतरती है दिल की आह और दुनिया कहती है उसे वाह
ख्वाबों से ही तो गम है इस गम से आँखे नम है
मत जियो इतना किसी के ख्याल में, जिन्दगी में मच जाएगा अनचाहा बवाल
पानी से पानी पर पानी लिख लेते हैं हम हर रात मोहब्बत में आँखे कर लेते हैं नम
मेरी धड़कने थी मेरे प्यार की गवाह, इस गवाही में हो गयी है ये भी तबाह
मेरे प्यार को समज के भी वो अन्जान, कैसे कहूं जान तू मेरी जान है
जब उन्होने बताया खुद को गैर की अमानत, हम पे टूटी खुदा की सबसे बड़ी कयामत
आसान नहीं है पत्तों से बनना खंजर, देखा है पतजड़ सी बेवफाई का मंजर
निगाहों में कैसे आता दूसरा चेहरा जब धड़कन पे है आज भी उस बेवफा का पहरा
सनम को पाने को मोहब्बत नहीं कहते हैं हर मजहब में मोहब्बत को शहादत कहते हैं