नजरिया चाहिए दर्द तो पत्थर का भी दिखता है, झरने के रूप में आंसू उसका भी पल - पल बहता है
भरोसा रखो खुद पे अगर दिल है साफ तो भगवान जी हर खता कर देंगे माफ
जब नाम लिया, तेरा मेरे रब सही मायनों में शुकून मिला है तब
रोशनी नहीं हम अंधेरा है आज भी बेवफाई का हमारे दिल पे पहरा है
मुश्किल से मिलते हैं कमर तोड़ने वाले, भटकती राहों में राह दिखाने वाले
टूट के करेंगे हम वफा, चाहे हमारे अपने अरमान हो हम से खफा
अंधेरो का भी अपना मजा है जनाब , हर धोखे का उतार देते हैं नकाब
हजार मिलते है होठो से घायल , नहीं मिलते यहा जो हो शिरत के पीछे पागल
Jante hain sabhi bewafa Zindagi Hai Maut nahi. Phir bhi pyaar sabhi ko Zindagi Se hai Maut se nahi.
सोकर नहीं तुझे जाग के गुजारना , मंजूर है खुद को अंधेरे में जलाना
जो बुझ जाए वो प्यास ही क्या जो छुट जाए वो आश ही क्या
काश कोई होता मेरे साथ, चलता मुझे लेके हाथों में हाथ
जब भी खुद से मिलती हू, अपनी ही भूलो से रोती हू
मेरी तकलीफ में मेरा रब मेरा साथ निभाता है, मेरे आँसू को वो अपनी आंख से रोता है
काश दिवाली और ईद को एक समझे, इंसानियत को मजहब नेक समझे
हर गम में हमारी धड़कने गुनगुनाती है, इसलिए गमो की बारिस हर पल हमे भीगाती है
खिलौना ही तो हर कोई समझता है, अपनी जरूरत के हिसाब से आजमाता है
मेरी आँखे रो रही हैं और मेरी किस्मत सो रही है
खूद के लिए भी वक्त से वक्त उधार लेना पड़ता है, जब महबूब की यादों में वक्त गुजरता है
ना मिलन की रात लिखी जाती है ना जुदाई की शाम लिखी जाती है कलम से तो बस मेरे यार की मोहब्बत लिखी जाती है
Chahti toh hun Kab se kisi pe bharosa karna, par bharosemand koi mila hi nah,i keya karen?