लाख मसलों में गिरफ्त जिन्दगी जिसे याद करता है यह जमाना उसे इश्क कहता है
यहां रिश्ते कोन निभाता है जरूरत के वक्त हर कोई अपना बताता है
तुम्हारी एक मुस्कान से गम लगते हैं फिजूल दिल अपना दे दो सारी खुशीया अपने आप हो जाएगी वसूल
जिन्दगी लगती है तब कर्ज जब ख्वाब से उचे हो जाते है फर्ज
तेरी मुस्कान जितनी जिन्दगी की सुलजाए तेरी जुल्फ उतना जिन्दगी को उलजाए
जिन्दगी भी तवायफ है हर रात आँसू के बदले गम की नुमाइश करती है
यकीन नेकी का है खुदा, इसे मत होने दो खुद से जुदा
दिल भी साला कमीना है तेरा ही दीवाना है
चलो तुम्हें अलविदा कहते हैं आज तुमसे जुदा होते हैं
जो चेहरा है मेरे दिल के पास वो मुझे जिन्दगी मे मिल जाए काश
जिन्दगी को इतनी जिंदादिली से जीने की करो कोशिश , रब बक्सेगा तुम्हारे हर सलीके मे एक कशिश
इतना खूबसूरत है उसका साया ना जाने कितनी प्यारी होगी उसकी काया
वो बोहत प्यारा है ऐसे ही नहीं कहती सबसे प्यारा मेरा यार है
मेरी जिन्दगी में खुश नहीं हु तो खुश क्यूँ दिखु, हर रोज नया गम सहना क्यूँ सीखु
जिन्दगी जीने के लिए हर रोज एक नया गम पीने के लिए है
इश्क वो किताब है जहा बेवफाई का मिलता सबको खिताब है
सीखो अपने गम को छिपाना, जरूरी नहीं है दुनिया को अपने गम दिखाना
दोस्त का दूजा नाम है मुस्कराहट, बिन बोले जानता है वो मेरी गम की आहट
इश्क का धागा कहा कुछ जोड़ता है कीतने आँसू के मोतियों का दिल हर रात तोड़ता है
हमारे ख्वाब में आता है आसमान कुछ कर गुजरने का हर ख्वाब सुनाता फरमान है
अपने नहीं सब यहां है गैर, बुरे वक्त मे कोई नहीं पूछता खैर