कलम हाथ में आते ही दर्द नीकल पड़ता है आँखो से नहीं कलम से मेरा हर आंसू बहता है
ए मेरे रब इतना मत रुला, आंसुओ की सेज पर हर रात मत सुला
मंजूर है हमे बिखरना लेकिन जूठ बोल कर नहीं आता किसी से जुड़ना
कोई अपना नहीं सब यहा गैर है खुशी के पलो में पूछते बस हमारी खेर है
सब अपने है सिर्फ बातो में हकीकत से रूबरू होते हैं गम की रातो मे
एक ख्वाब की ख्वाहिश है दिल आज भी करता उसकी फरमाईश है
यहा कोई नहीं मनाता है और कोई नहीं हसाता है जो चेहरा आईने में दिखता है गैर के खातिर तु उसे क्यूँ सताता है
जिसकी नहीं थी आश वो आया मेरे पास और जो आया पास वो नहीं है खास
हर रोज संग रहती है एक उम्मीद, जिसके सहारे मनाते है दिवाली और ईद
डर लगता है अपने दिल की उन्हें खबर देने से, डर लगता है इकरार ए मोहब्बत के बाद दर - बदर भटकने से
हमारे जख्म ना दिखे वो ही अच्छा है, वरना दुनिया जानेगी आज भी कोई आशिक सच्चा है
नहीं पसंद यह रिश्ते, मेरी एक हार साबित करती है ये कितने है सस्ते
जिन्दगी हू तूजसे खफा, धोखा दिया है तूने मुझे हर दफा
Akhon me ane wale aansu ki wajah main hu par uske bad ane wali khushi ki wajah bhi main hi banungi.
Main khushi chahe na de paau par tumhare gum ka reason nahi banungi
Hatho se to pata nhi par dil se jarur tumhara sath chuth gaya hai.
जाने कैसा होगा मेरा कल इस चिंता में गूजर रहा है वर्तमान का हर पल
करना है कुछ अलग, हर वक्त यह चिंगारी रही है सुलग
जीवन बन गया काला साया है जहा जलती हर रोज मेरी रूह और काया है
कोई नहीं है यहा अपना हर रिश्ता लगता है एक सपना
ना ख्वाब मिला ना नवाब मिला बस हमे आंसू का सैलाब मिला