चली थी दूसरो का देने साथ, खूद का ना थाम सकी हाथ
सब से ज्यादा बवाल मचाता है मैरा ख्याल
नहीं चाहिए किसी का दान बस जीना है ले कर अपना मान
शायद बहुत लंबे है मैरे गुनाह तूने इसलिए नहीं दी मुझे पनाह
चाँद तारों की कब की थी ख्वाहिश नामंजूर हुई मेरी एक ही फरमाईश
मैं चाहत का रंग हू, खूद की बेवफाई से दंग हू
मैं हू कठपुतली और ऊपर वाले ने थामी मैंरी डोर, मैंरी ख्वाहिशों पर नहीं चलता मैंराजोर
मत करो मुझे इतना तंग जिन्दगी का छोड़ दुं मैं संग
मत तु इतना बिखर तेरी साँसो से ज्यादा गम गए है निखर
क्या करू रब तुझसे शिकायत कभी सोचना कितनी टूट कर की होगी तुझसे बगावत
टूटे काच की तस्वीर भी नजर आती है तस्वीर से ज्यादा उसमे रूठी तकदीर नजर आती है
यादे कहा लोटती है हर हद तक तोड़ती है
उभरने दो वो आँखो से उभरती तस्वीर हर किसी को नहीं मिलती इश्क की तकदीर
जो जी भर के सताता है दिल उसे ही अपना बताता है
किसी की याद में मत जालाना दीपक, दीपक की रोशनी खाएगा बेवफ़ा दीमक
जो जी भर के सताता है दिल उसे ही अपना बताता है
मंजूर है बनना कीस्सा पर नहीं बनना बेवफ़ा का हिस्सा
इश्क दिल को बनाता दास है किसी एक के रहता पास है
Coming down doesn't always mean you are feeble. Sometimes it's only because you value them more than the norms and the principles.
It is beautiful when someone compliments you, "I wish I met you earlier".
चाँद तारों की करते हैं बात , वो साथ निभाते हैं बस एक रात